अंबिकापुर: सरगुजा से लेकर बस्तर तक आदिमजाति कल्याण विभाग सहित विभिन्न विभागों में हुए समान सप्लाई के मामले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट में जिन फर्म्स पर 15 सौ करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। उन फर्म्स ने मिलकर 100 करोड़ रुपये के समान सप्लाई का आंकड़ा भी पार नहीं किया है। दस्तावेजों के अवलोकन करने के बाद कुछ यही तथ्य सामने आये है।
दरअसल मामला अंबिकापुर के तकिया रोड निवासी चौबे परिवार से जुड़ा है। 69 वर्षीय राजा राम चौबे पिछले कई साल से UICT नामक एक चैरिटी बेस एनजीओ का संचालन करते हैं, साथ ही उनके परिवार के सदस्य विभिन्न फर्म के जरिए सरकारी विभागों में समान सप्लाई का काम पिछले 3 से 4 वर्षों से करते आ रहे है। मामला यहां तक तो ठीक था। लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट के बाद अंबिकापुर निवासी राजाराम चौबे और उनका परिवार सुर्खियों में आ गया है।
एक निजी चैनल के मीडिया रिपोर्ट के अनुसार( जिसकी पुष्टि हम नही करते) चौबे परिवार ने पिछले कुछ वर्षों में 15 सौ करोड़ रुपये के समान की सप्लाई विभिन्न सरकारी विभागों में की है। जबकि समान सप्लाई के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। वही निजी चैनल के मीडिया रिपोर्ट में दावा किये जाने के बाद चौबे परिवार भी हैरान और परेशान है। चौबे परिवार का कहना है कि जबसे उनके परिवार के सदस्यों द्वारा विभिन्न नामों से फर्म्स का रजिस्ट्रेशन करवाकर विभागों में काम करना शुरू किया गया, तबसे अबतक कुल 94 करोड़ रुपये का ही सरकारी विभागों में समान सप्लाई किया गया है। ऐसे में 15 सौ करोड़ रुपये के समान सप्लाई के भ्रष्टाचार करने की बात हैरान करने वाली है। मीडिया रिपोर्ट में जो चौबे परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जा रहा है वे सभी आरोप बेबुनियाद है।
जिस फर्म का 2022 में हुआ रेजिस्ट्रेशन,उस फर्म पर भी लगाये गए 2020-21 में अनियमितता के आरोप
राजाराम चौबे द्वारा खड़ी की गई खुद की कंपनी के अलावा उनके बड़े बेटे अरुण चौबे के नाम पर समृद्धि इंटरप्राइजेज है। इस फर्म का रजिस्ट्रेशन 2019 में हुआ। वही छोटे बेटे नीरज चौबे के नाम पर मेसर्स यूनिक सेल्स एंड सर्विस है। जिसका रजिस्ट्रेशन 2019 में हुआ था। जबकि उनके दो और परिवार के सदस्यों के नाम पर अल्ट्रा सेल्स एन्ड सर्विस जिसका पंजीयन 2021 में हुआ। वही एक और परिवार के सदस्य के नाम पर फर्म की स्थापना की गई, शिव शक्ति ट्रेडर्स जिसका पंजीयन 2022 के अंतिम महीने में हुआ था। वहीं अब सवाल ये उठता है कि जिस शिव शक्ति ट्रेडर्स फर्म पर 2020-21 में मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकारी विभाग में समान सप्लाई के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगे, इस फर्म का पंजीयन 2022 में हुआ, तो ये फर्म ने 2020-21 में किसी आधार पर सरकारी विभागों में समान की सप्लाई कर भ्रष्टाचार किया होगा।
GST और अन्य दस्तावेजों की मीडिया रिपोर्ट के उलट है तथ्य
निजी चैनल ने अपने मीडिया रिपोर्ट में चौबे परिवार पर सरकारी विभागों में 1500 करोड़ रुपए के समान सप्लाई के दौरान अनियमितता कर भ्रष्टाचार करने का जो आरोप लगाया है, ये हैरान करने वाले आरोप है। फर्म की स्थापना से लेकर GST भरने तक सालाना टर्नओवर के दस्तावेज का अवलोकन करने पर कुछ और ही तथ्य सामने आये है। दस्ताजेव बताते है कि जिन फर्म का निर्माण ( शिव शक्ति ट्रेडर्स-2022 में रजिस्टर्ड हुआ) 2020 21 में नही हुआ वे फर्म सरकारी संस्थानों में सप्लाई कैसे कर सकता है। यानी इन फर्म का नाम घोटाला में कैसे आ सकता है। वही परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर रजिस्टर्ड फर्म की ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि जब से सभी फर्म का रजिस्ट्रेशन हुआ साथ ही GST जनरेट हुआ तब से अब तक 100 करोड़ रुपए का कार्य सभी फर्मों द्वारा मिलाकर भी नहीं किया गया। ऐसे में 15 सौ करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप बेबुनियाद नज़र आते है। चौबे परिवार का कहना है कि उनके परिवार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।
पारदर्शिता के लिए क्रय समिति का किया गया गठन
सरकारी विभागों में जब भी समान की सप्लाई की जाती है, इसके लिए पहले विभाग द्वारा निविदा की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है। जिस रजिस्टर्ड कंपनी को टेंडर मिलता है वही सरकारी विभागों में समान सप्लाई का काम करता है। जबकि विभागों में सप्लाई किये जाने वाले समान की गुणवत्ता जांचने के लिए जिला स्तरीय क्रय समिति का गठन कलेक्टर की निगरानी में होता है, समानों की गुणवत्ता जांचने के बाद किसी भी विभागों में समान की सप्लाई की जाती है साथ ही जिला स्तरीय क्रय समिति की रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर के द्वारा बिल भुगतान करने आदेश पारित किया जाता है। ऐसे में कई चरणों में होने वाली प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद कोई भी सप्लायर सामान सप्लाई के दौरान भ्रष्टाचार कैसे कर सकता है। ऐसे में चौबे परिवार पर लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप पर परिवार का कहना है कि उन्हें साजिश के तहत फसाने का प्रयास किया जा रहा है।