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मुख्यमंत्री के क्षेत्र से पीडिता की फ़रियाद.. स्कूल से टीसी दिलवा दीजिये कलेक्टर साहब

 

सरगुजा - माफियाओं के अलग अलग गोरख धंधे आपने बहोत देखे और सुने होंगे, अब तो हिन्दी फिल्म भी माफियाओं पर बन रही है. ऐसे ही एक माफिया की कहानी हम आपको बता रहे हैं, लेकिन ये माफिया अंडरवर्ड से सम्बंधित नही है, ना ही ये नशे का कारोबार करते है, ये सफेद पोश माफिया है, ये खुद को शिक्षित मानते है और शिक्षा के मंदिर का व्यापार करते हैं, ये कहानी है एजुकेशन माफियाओ की जो बच्चों को पढ़ाने के नाम पर गरीब परिजनों की जेब पर डांका डालते हैं.

 

मामला आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग का है, यहाँ अंबिकापुर शहर का एक निजी शिक्षण संस्थान गरीब आदिवासियों के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के नाम पर ठगने का काम कर रहा है. एडमिशन के टाइम पर कम कीमत का पॅकेज बताया जाता है और एक बार जब यहाँ एडमिशन हो जाता है तो फिर परिजनों से और पैसे मांगे जाते है. जब परिजन पैसे नही देते तो उनके बच्चो की टीसी यानी की ट्रांसफर सर्टिफिकेट नही दिया जाता है. और बिना टीसी के आपका बच्चा किसी अन्य स्कूल में दाखिला नही ले सकता है. बड़ी बात ये है की पीड़ित परिवार मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के गृह जिले जशपुर के बगीचा के रहने वाले हैं.

 



कई बार मजबूर परिजन टीसी लेने के चक्कर में मोटी रकम दे भी देते है लेकिन इस बार एक आदिवासी परिवार से जब ऐसा किया गया तो वो सीधे कलेक्टर के पास पहुँच गया और कलेक्ट्रेट में शिकायत कर दिया. पीड़ित ने मीडिया से भी अपने साथ हुई धोखाधड़ी की कहानी बताई और जब मीडिया कर्मी स्कूल प्रबंधन से उनका पक्ष लेने गये तो वहां उनके साथ बदतमीजी की गई. स्कूल में मौजूद एक सख्स ने मीडिया कर्मियों को धमकी दी.


ठगी का प्रयास जब असफल रहा बात कलेक्टर और मीडिया तक पहुंच गई तो माफियाओ ने भयादोहन शुरू किया और परिजन को टीसी देने की शर्त पर एक करारनामा साइन कराया है. इस करार नामा में कथित लोगो के द्वारा ये दर्ज कराया गया है कि ये मामला अगर मीडिया, या किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में प्रकाशित होता है तो परिजन पर वो मानहानि का मुकदमा सहित अन्य कानूनी कार्रवाई करेंगे. अब सवाल ये उठता है कि परिजन अगर मीडिया या किसी भी सार्वजनिक संस्था में बात ना भी करें तो 24 जून को जो शिकायत सरगुजा कलेक्टर से की गई है, उसका क्या होगा, क्या ये लोग इतनी पहुंच रखते हैं कि कलेक्टर से की गई शिकायत को भी दबा देंगे, क्या कलेक्टर मामले में संज्ञान लेंगे और अपराध करने के बाद समझौता करने वाली संस्थान पर कार्रवाई करेंगे.